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मेरा नाम भरत सिंह भाटी है मैं पहले सांपला जिला रोहतक राज्य हरियाणा में रहता था वहा हमारा अपना घर है लेकिन मैं 2023 से नोएडा ग्रेटर सेक्टर 20 में रहने लगा हूं। यह हमारा अपना पैतृक गांव था, अभी शहर में परिवर्त हो रहा है। और मुझे बहुत खुशी हो रही है क्योंकि हमारे यहां से 10 किलोमीटर की दूरी पर ही इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन रहा है जिसे कहा जा रहा है की 2025 तक पहला रनवे शुरू हो जाएगा। यह जेवर में स्थित है लेकिन उसे अभी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नाम से जाना जाएगा।और यहां पर मेट्रो वगैरा काफी कुछ साधन हो चुके हैं तो काफी अच्छा लगता है मार्केट भी अब बड़ी हो चुकी है जिस में सभी सुविधाए है काफी कुछ पहले से बदल चुका है थोड़ा सा मॉडर्न  हो चुका है और यहां पर हमारा इंटरनेट का अपना काम भी है और आईटी सर्विसेस भी मैं प्रोवाइड करता हूँ।

03 अगस्त (श्रावण माह) 1994 शाम  शनिवार को हुआ था।
मेरा जन्म जब हुआ मेरे गाँव एक परिवार की तरह था सुविधाए कम होती थी लेकिन काफी एकता थी गाँव में ऐसा मुझे मेरी दादी माँ बताती थी जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ और गाँव में आना शुरू हुआ तो काफी अच्छा लगता था गाँव पूरा एक घर लगता था। चारो तरफ हरियाली, नदी और उसमें नहाना, बागो से आम और तरबूज तोड़ के खाना और जिंदगी मानो ऐसी थी की लगता था मैं श्री कृष्ण जी मेरे मित्र हो और जिंदगी में किसी भी प्रकार की कोई समस्या नही हो बस चारो तरफ खुशिया, खेल, खाना एक अलग ही सुख था।

आदर्श सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सांपला में मेरी पढ़ाई सम्पन्न हुई
मुझे जहां तक यह भी याद है मेरा पहला स्कूल शांति स्कूल होता था जो की सरकारी प्राइमरी स्कूल था लेकिन वहां पर मुझे 1 साल तक पढ़ाया उसके बादआदर्श स्कूल में नर्सरी क्लास से शुरुआत हुई और 12वीं क्लास तक मैं यहीं पर पढ़ाई की। मेरे सबसे अच्छे और बुरे दोस्त यही बने। 
12वीं कॉमर्स से 60 प्रतिशत से भी अधिक नंबर से हरियाणा बोर्ड से पास की। कम्प्युटर मैंने थोड़ा बहुत आदर्श स्कूल में ही सीखा था। 
मैं 12वीं कक्षा में एक स्कूल होता था दाबोदा कला गांव में, जहां पर हम लोगों ने एडमिशन लिया हम तीन दोस्त थे जिसमें मैं, राहुल (मेरे साथ आदर्श स्कूल में भी था) और एक दोस्त बना जो इस समय पर बना दीपक और वहां पर अनेक और दोस्तों या फ्रेंड सर्कल बना जो अलग-अलग गांव से होते थे और हम काफी अमेजिंग मतलब एक हॉस्टल लाइफ भी वहां पर हमने जी है जो की बहुत अच्छा एक्सपीरियंस रहा आदर्श स्कूल का अलग अनुभव है और जीवन ज्योति सीनियर सेकेंडरी स्कूल का अलग अनुभव है

स्कूल के दिनों में यानी जब मैं 11वीं और 12वीं कक्षा में होता था तो मैं एजुकेशनल ब्लॉग या कई प्रकार के ऐसे ग्रुप से चलते थे जहां पर मैं जॉब रिलेटेड अलर्ट जो कि मुझे अखबारों से मिलती थी या अखबारों से जो शिक्षा समाचार मिलते थे उनको मैं एक ब्लॉक आर्टिकल के रूप में लिखता था और काफी ग्रुप होते थे उन दोनों पर एसएमएस के व्हाट्सएप नहीं होता था लेकिन एसएमएस के ग्रुप के थ्रू हम उनको सूचनाओं को अपने साथियों तक भेजते थे।

स्कूल का जो जीवन होता है वह बचपन जैसा ही होता है थोड़ा बहुत बस उसमें हल्की-फुल्की समस्याएं जरूर होती हैं लेकिन स्कूल का जीवन सबसे उत्तम होता है जहां पर हम नई चीजों को सिखाते हैं और नए दोस्त बनाते हैं हमें काफी कुछ सीखने को भी मिलता है और मैं भी अपने जीवन में काफी कुछ सीखा पढ़ा भी लेकिन जो मित्रों के साथ जो उसे समय मस्ती की है, खेले, घूमे, हम ज्यादा बड़े भी नही थे लेकिन दिल्ली का ऐसा कोई भी जगह नही जहा हम न गए हो। बहुत खूबसूरत दिन थे। 12वीं के बाद मैं B.Tech कंप्यूटर साइंस, बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया।  मैंने टेक्नोलॉजी बदलती देखी है गूगल को बढ़ते देखा है फेसबुक को बनते देखा है व्हाट्सएप को लॉन्च होते देखा है बहुत सी ऐसी टेक्नोलॉजी के परिवर्तन या परिवर्तित होते देखे हैं यहां तक कि हमने काफी टेक्नोलॉजी पर काम भी किया है बहुत सारी वेबसाइट है सॉफ्टवेयर, एंड्राइड एप्लीकेशंस को हमने खुद भी बनाया है जो की हमारे लिए काफी अमेजिंग अनुभव रहा है।